नोएडा अथॉरिटी की CEO ऋतु माहेश्वरी को SC से बड़ी राहत, इलाहाबाद हाईकोर्ट के गैर जमानती वारंट पर लगाई रोक
नोएडा अथॉरिटी की CEO ऋतु माहेश्वरी को SC से बड़ी राहत, इलाहाबाद हाईकोर्ट के गैर जमानती वारंट पर लगाई
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोएडा के सीईओ नोएडा रितु महेश्वरी (Ritu Maheshwari) के मामले में बड़ी राहत दी है. एससी ने फिलहाल गिरफ्तारी के इलाहाबाद HC के आदेश पर रोक लगा दी. हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि अवमानना के मामले में रितु माहेश्वरी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए. जिसके लिए रितु माहेश्वरी के खिलाफ गैर ज़मानती वारंट जारी किया गया था. वहीं इस पर वकील मुकुल रोहतगी ने एससी में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी. वहीं अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई होगी.
गुरुवार को गैर जमानती वारंट हुआ था जारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने नोएडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) रितु माहेश्वरी के खिलाफ गुरुवार को गैर जमानती वारंट जारी किया था. साथ ही 13 मई को पुलिस हिरासत में अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था. वहीं रितु माहेश्वरी की ओर से सुप्रीम कोर्ट मे इस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. जिसमें उन्होंने गिरफ्तारी से राहत देने की मांग की थी.
सोमवार को लगाई थी फटकार
वहीं आज इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रितु माहेश्वरी को राहत दे दी है. SC ने याचिका को मानते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के गिरफ्तारी के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है. वहीं इस मामले में बुधवार को फिर सुनवाई की जाएगी. हालांकि सोमवार को भी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई थी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रितु माहेश्वरी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर आप हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करतीं, ऐसे में आपको इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा.
CJI ने जताई नाराजगी
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने कहा कि हर दूसरे दिन कुछ अफसर गंभीर मामलों में भी निर्देश के लिए कोर्ट जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हर रोज इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन होता है, यह रोज का काम हो गया है. हर रोज़ एक अधिकारी कोर्ट आ जाता है, यह क्या है? आप अदालत के आदेश का सम्मान नहीं करते.
जमीन अधिग्रहण का मामला
पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सरल श्रीवास्तव ने मनोरमा कुच्छल और अन्य की अवमानना याचिका पर अफसर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने संबंधी आदेश पारित किया था. नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority CEO) की ओर से 1990 में इन याचिकाकर्ताओं की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन कानून के मुताबिक आज तक उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया. याचिकाकर्ता 1990 से नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
कोर्ट के आदेश की अवमानना का केस
28 अप्रैल, 2022 को अदालत ने इस मामले की सुनवाई चार मई को करने का निर्देश दिया था और माहेश्वरी (Ritu Maheshwari) से अदालत के समक्ष पेश होने को कहा गया था. लेकिन अदालत द्वारा समन जारी किए जाने के बावजूद वह चार मई को सुनवाई में उपस्थित नहीं हुई थीं. इस पर अदालत ने कहा था, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि इस अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया. बावजूद इसके कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा एक रुपये भी मुआवजा दिए बगैर 1990 में अवैध रूप से याचिकाकर्ताओं की जमीन का अधिग्रहण किया गया.